Devkatha is a religious website that provides details on Aarti, Bhajan, Katha, Mantra, Vandana, Chalisa, Prerak Kahaniyan, Namavali,shri ram, stuti, strot, hindu mahine, asthak, ekadashi, radha krishan, sanatan dharm, dharmsaar, jai khatushayam, radhe radhe, jai kishori, prushotam mas, kartik, savan, diwali, holi, janmasthmi, radha astmi, jai shiv shakti, hanuman chalisa, shiv Chalisa Devkatha.com

तिल संकटा चौथ व्रत कथा | Till Sankata Chauth Vrat Katha

एक साहूकार और एक साहूकारनी थे। वह धर्म पुण्य को नहीं मानते थे। इसके कारण उनके कोई बच्चा नहीं था। एक दिन साहूकारनी पड़ोसन के घर गयी। उस दिन संकट चौथ थी, वहाँ पड़ोसन संकट चौथ की पूजा करके कहानी सुन रही थी।

साहूकारनी ने पड़ोसन से पूछा- तुम क्या कर रही हो?

तब पड़ोसन बोली कि आज चौथ का व्रत है, इसलिए कहानी सुन रही हूँ।

तब साहूकारनी बोली- चौथ के व्रत करने से क्या होता है?

तब पड़ोसन बोली- इसे करने से अन्न, धन, सुहाग, पुत्र सब मिलता है।

तब साहूकारनी ने कहा- यदि मेरा गर्भ रह जाये तो में सवा सेर तिलकुटा करुँगी और चौथ का व्रत करुँगी।

चौथ माता की कृपया से साहूकारनी के गर्भ रह गया। तो वह बोली कि मेरे लड़का हो जाये, तो में ढाई सेर तिलकुटा करुँगी। कुछ दिन बाद उसके लड़का हो गया, तो वह बोली कि हे चौथ माता! मेरे बेटे का विवाह हो जायेगा, तो सवा पांच सेर का तिलकुटा करुँगी।

कुछ वर्षो बाद उसके बेटे का विवाह तय हो गया और उसका बेटा विवाह करने चला गया। लेकिन उस साहूकारनी ने तिलकुटा नहीं किया। इस कारण से चौथ माता क्रोधित हो गयी और उन्होंने फेरो से उसके बेटे को उठाकर पीपल के पेड़ पर बिठा दिया। सभी वर को खोजने लगे पर वो नहीं मिला, हतास होकर सारे लोग अपने-अपने घर को लौट गए। इधर जिस लड़की से साहूकारनी के लड़के का विवाह होने वाला था, वह अपनी सहेलियों के साथ गणगौर पूजने के लिए जंगल में दूब लेने गयी।

तभी रास्ते में पीपल के पेड़ से आवाज आई- ओ मेरी अर्धब्यहि!

यह बात सुनकर जब लड़की घर आयी, उसके बाद वह धीरे-धीरे सूख कर काँटा होने लगी।

एक दिन लड़की की माँ ने कहा- मैं तुम्हें अच्छा खिलाती हूँ फिर भी तू सूखती जा रही है? ऐसा क्यों?

तब लड़की अपनी माँ से बोली कि वह जब भी दूब लेने जंगल जाती है, तो पीपल के पेड़ से एक आदमी बोलता है कि ओ मेरी अर्धब्यहि।

उसने मेहँदी लगा रखी है और सेहरा भी बांध रखा है। तब उसकी माँ ने पीपल के पेड़ के पास जा कर देखा, यह तो उसका जमाई ही है।

तब उसकी माँ ने जमाई से कहा- यहाँ क्यों बैठे हैं? मेरी बेटी तो अर्धब्यहि कर दी और अब क्या लोगे? 

साहूकारनी का बेटा बोला- मेरी माँ ने चौथ का तिलकुटा बोला था लेकिन नहीं किया, इस लिए चौथ माता ने नाराज हो कर यहाँ बैठा दिया।

यह सुनकर उस लड़की की माँ साहूकारनी के घर गई और उससे पूछा कि तुमने संकट  चौथ का कुछ बोला है?

तब साहूकारनी बोली- तिलकुटा बोला था। उसके बाद साहूकारनी बोली मेरा बेटा घर आ जाये, तो ढाई मन का तिलकुटा करुँगी।

इससे चौथ माता प्रसंन हो गयी और उसके बेटे को फेरों में लाकर बैठा दिया। बेटे का विवाह धूम-धाम से हो गया। जब साहूकारनी के बेटा एवं बहू घर आ गये  तब साहूकारनी ने ढाई मन का तिलकुटा किया और बोली हे चौथ माता! आप के आशीर्वाद से मेरे बेटा-बहू घर आये हैं, जिससे मैं हमेशा तिलकुटा करके व्रत करुँगी। इसके बाद सारे नगर वासियों ने तिलकुटा के साथ संकट चतुर्थी व्रत करना प्रारम्भ कर दिया।

हे संकट चौथ माता! जिस तरह साहूकारनी को बेटे-बहू से मिलवाया, वैसे ही हम सब को मिलवाना। इस कथा को कहते, सुनते और हुंकारा भरते का कल्याण करना।

बोलो चौथ माता की जय..

Share this post (शेयर करें)
Scroll to Top